Wednesday, September 7, 2011

गायब

न जाने इस जग में नित्य दिन
हो रहा हरपाल क्या गायब
नदियाँ गायब नीर गायब
पानी से है मीन गायब
पर्वत गायब झाड़ना गायब
जंगल से है सिंह गायब
गुरु शिष्य बिच अनुशासन गायब
जन-आपूर्ति से राशन गायब
जन-कल्याण का भाषण गायब
पिता-पुत्र बिच शासन गायब
पृथ्वी-सूरज बिच ओजेन गायब
सूर्य किरण से उर्वरता गायब
शशी से शीतलता गायब
तारो की चमकता गायब
धर्म गायब ईमान गायब
सत्य की पहचान गायब
मानव की मानवता गायब
सारेजहाँ  से नैतिकता गायब
धोती गायब कुर्ता गायब
साडी और दुपट्टा गायब
मात्री-शिशु बिच प्रेम गायब
पति-पत्नी से विश्वास गायब
दफ्तर से है बाबू गायब
टेवल से है फाईल गायब
जनहित का नेता गायब
बॉलीवुड से अभिनेता गायब
लोकतंत्र की परिभाषा गायब
हिंदुस्तान से भाषा गायब
नक्कली की होड़ में असली गायब
रसोई घर से तसल्ली गायब
मंदिर से है मूर्ति गायब
आदमी का आज फुर्ती गायब
कर रहा है मानव नित्य दिन
निज-स्वार्थ बस हर चीज गायब
दयाकान्त

Tuesday, September 6, 2011

भारत माँ को सपूत चाहिए


भारत माँ को सपूत चाहिए
सीमा पर बलदूत चाहिए
जिसको न हो प्राण की चिंता
धरती हो माता सूरज हो पिता
लाखों में हो अलग कदावर,
तन-मन-धन जो करे न्योक्षावर
दुश्मन को जो सबद सिखाये
ऐसा ही जमदूत चाहिए |
भारत माँ को सपूत चाहिए

रोक सके जो जात-पात को
कौम की झगरा क्षेत्रवाद को
बंद करे जो भाई भतीजावाद को
मिटा सके जो आतंकवाद को
कौरव को जो धुल चटाए,
ऐसा ही मारुति चाहिए
भारत माँ को सपूत चाहिए |

हरियाली जो फैलाये खेतों में
गम बदल दे किसानो को खुशी में
हरपाल हो खेतों की सिचाई 
ना हो बिजली की कभी रुलाई
चारो तरफ जो अन्न बरसाए
ऐसा ही अन्नदुत चाहिए
भारत माँ को सपूत चाहिए

अशिक्षा से जो करे लडाई
मिटा सके जो रुढी बुराई
पढ़ा सके जो अनपढ़ को पाठ
दिला सके जो शिक्षा का गाठ
मूर्खो को जो ज्ञानी बनाये
ऐसी विद्या की दूत चाहिए
भारत माँ को सपूत चाहिए


अछुन्न रखे जो देश की संस्कृति
मिटा सके जो पशिचमी विकृती
दिला सके जो बुजुर्गो  को सम्मान
नाडी का न हो अपमान
लाल किला पर जो झंडा फहराये
ऐसा ही कर्मनिष्ट चाहिए
भारत माँ को सपूत चाहिए
दयाकान्त